वाराणसी में अब ध्वनि प्रदूषण पर वार होगा थानावार, रोकथाम के लिए मजिस्ट्रेट की हो रही तैनाती

वाराणसी, जेएनएन। ध्वनि प्रदूषण या अत्याधिक शोर की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने पहल की है। सिटी मजिस्ट्रेट सहित आठ अधिकारियों को थानावार निगरानी के साथ ही कार्रवाई का जिम्मा दिया है। यानि अब आठ मजिस्ट्रेट ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों व लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। नगर मजिस्ट्रेट को रामनगर व आदमपुर थाना, अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम मंडुआडीह-भेलपुर थाना, अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय चौक, लक्सा व दशाश्वमेध थाना, अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय जैतपुरा, सिगरा व चेतगंज, अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ कैंट, सारनाथ और शिवपुर, उपजिलाधिकारी सदर तहसील का संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्र व एसडीएम राजातालाब अपनी तहसील संग ग्रामीण क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण रोकथाम की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि अपर जिलाधिकारी नगर और अपर जिलाधिकारी प्रशासन पर्यवेक्षक होंगे। 


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन की टीम के साथ विभाग के लोग जल्द ही कई स्थानों पर जाकर देखेंगे कि वहां ध्वनि प्रदूषण दिन व रात में कितना होता है। यदि मानक से अधिक प्रदूषण निकला तो ध्वनि प्रदूषण विनियमन व नियंत्रण नियम 2000 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 


अत्यधिक ध्वनि से धड़कन हो सकती कम, बन सकते ब्लड प्रेशर के रोगी


राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के डा. अजय कुमार कहते हैं कि सड़क पर चलने वाली गाडिय़ों से ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है। जब कई गाडिय़ां एकसाथ चलती हैं तो इंजन और हॉर्न से होने वाले अत्यधिक शोर से कान के अंदर जो हेयर-सेल्स होते हैं वो पूरी तरह खत्म हो सकते हैं व सुनाई देना बंद तक हो सकता है। तेज ध्वनि से दिल की धड़कन कम हो जाती है और ब्लड प्रेशर की शिकायत भी हो सकती है। 


विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक 


45 : डेसिबल ध्वनि दिन में होनी चाहिए


34 : डेसिबल ध्वनि रात में होनी चाहिए


किससे-कितना फैलता ध्वनि प्रदूषण 


90 : डेसिबल शोर बस और ट्रक से 


150 : डेसिबल स्पीकर, डीजे-सायरन